मेरी कोशिश नहीं सफर मे ले के छाँव चलूँ
तुम्हारे साथ चलूँ चाहे पाँव-पाँव चलूँ
यार तुम भी तो सफर मे मेरे रकीब रहो
मैं चाहे शहर चलूँ या फिर अपने गाँव चलूँ
तुम अपनी मंजिलों को कोशिशों से छूते रहो
तब तलक मैं भी शिद्दतों से अपने ठाँव चलूँ
ये जिंदगी है जो एहसासों के बल चलती है
कोई शतरंज नहीं के मैं कोई दाँव चलूँ
तुम किसी दिन किसी मल्लाह का किरदार बनो
मैं डगमगाती-सँभलती तुम्हारी नाँव चलूँ
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