उनकी महफिल का पता क्या रखना,
यानी कातिल से वफा क्या रखना ।
दिल का कोना ही अगर खाली है,
घर के कोने में खुदा क्या रखना ।
आँखों-आँखों में समन्दर लेकर,
अबकि मुट्ठी में हवा क्या रखना ।
हरसू दौलत का तमाशा है यहाँ,
ख़ाली जेबों में पता क्या रखना ।
सूरज की निगहबानी में,
मोम होने की अदा क्या रखना ।
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