ना जाने किस आस में हूं।
ना जाने किस प्यास में हूं II
दिल को मना लेता हूं I
खुद को समझा लेता हूं II
दिन को भी चैन कहां I
रातें भी बेचैन यहां II
हर दिन वही बात दोहराता हूं I
ना जाने क्या बताना चाहता हूं II
किस किस का विश्वास करूं I
क्यों उसका इंतज़ार करूँ II
अधुरी है सब खवाहिशे यहां I
बहुत सी हैं, शिकायतें यहां II
ना जाने किस आग में हूं।
ना जाने किस प्यास में हूं II
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