Saturday, June 17, 2023

ना जाने किस आस में हूं।

ना जाने किस आस में हूं।

ना जाने किस प्यास में हूं II 

दिल को मना लेता हूं I 
खुद को समझा लेता हूं II 

दिन को भी चैन कहां I 
रातें भी बेचैन यहां II 

हर दिन वही बात दोहराता हूं I 
ना जाने क्या बताना चाहता हूं II 

किस किस का विश्वास करूं I 
क्यों उसका इंतज़ार करूँ II 

अधुरी है सब खवाहिशे यहां I 
बहुत सी हैं, शिकायतें यहां II 

ना जाने किस आग में हूं। 
ना जाने किस प्यास में हूं II 

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