Wednesday, June 21, 2023

फ़ुर्सत में की है

​तुम्हारा 

ये हुस्न औ' 
कपोलों में समाई... 
दमकते कंचन-सी यह तपिश...! 
अंग-अंग में तेरे... 
झलके ग़ज़ब की जैसे कश़िश़...! 
झांकने जैसे लगा है... 
श़ब़ाब़ तुम्हारा... 
चीर कर वसनों की सारी बंदिश.....! 
लगता है... 
ख़ुदा ने जैसे... 
अप्सरा बनाकर तुझे... 
"विचित्र" 
फ़ुर्सत में की है तेरी परवरिश.....! 

No comments: