Wednesday, June 28, 2023

जिंदगी में खुशियां भरमार करलें

उम्र के इस मोड़ पर फिर से,

इज़हार-ए-प्यार करलें 
एक दूजे के लिए जीने-मरने 
का कौल-करार करलें 
बुढ़ापा रफ्ता- रफ्ता छाता जा रहा है हम पर 
बेहतर है कि हम सच्चाई दिल से स्वीकार करलें 
बच्चे हमारी पहुंच से बहुत दूर निकल गए अब 
क्यों दिल दुखाएं हम खुद 
को खुशगवार करलें 
ज़िंदगी जो बीत गई हर रोज़ उसका रोना-धोना क्या 
क्यों ना हम बाकी जिंदगी में खुशियां भरमार करलें 
दुआएं सब की कुबूल कहां होती हैं इस दुनियां में 
जो भी मिला वो ही बहुत है 
हम ऐसा ऐतबार करलें

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