Thursday, June 29, 2023

फिर मिरे सर पे कड़ी धूप की बौछार गिरी

फिर मिरे सर पे कड़ी धूप की बौछार गिरी

मैं जहाँ जा के छुपा था वहीं दीवार गिरी 

लोग क़िस्तों में मुझे क़त्ल करेंगे शायद 
सब से पहले मिरी आवाज़ पे तलवार गिरी 

और कुछ देर मिरी आस न टूटी होती 
आख़िरी मौज थी जब हाथ से पतवार गिरी 

अगले वक़्तों में सुनेंगे दर-ओ-दीवार मुझे 
मेरी हर चीख़ मिरे अहद के उस पार गिरी 

ख़ुद को अब गर्द के तूफ़ाँ से बचाओ 
तुम बहुत ख़ुश थे कि हम-साए की दीवार गिरी 
Qaisar Ul Jafri

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