आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
मेरे आंगन का गुलाब गजब ढाता है,
कांटो में रहकर भी सदा मुस्कराता है पूछने पर बताया मुस्कराने का सबब खुशबू लूटाने वाला ही समझ पाता है .
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