वक्त का तकाजा है जनाब,
देखा जो वह सच है जो सोचा वह ख्वाब,
कुछ चेहरे हकीकत के तो कुछ नकाब,
कभी नहीं मिलता हर सवाल का जवाब,
वक्त का तकाजा है जनाब,
कब हुई सुबह कब गुजरी शाम,
नहीं मिला जिंदगी को कुछ आराम,
ना हो सके ऐसा क्या काम,
हर किसी की जरूरत हुई आम!
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