Wednesday, June 7, 2023

होता मीत जो अपना वो मनहर मन को भाता है

होता मीत जो अपना वो मनहर मन को भाता है

कि पिछले जन्म का कोई जो उससे अपना नाता है 

सबायें छू के रूहों को गुजरतीं दूर तक यूँहीं 
तभी तो फूल ये शायद ख़ुशी में मुस्कुराता है 

उनींदी आँख है अब तक तेरी जो याद सी आती 
यूँही फिर आज भी अपना जो जग राता है 

हो लगी दिल की अजी फिर और क्या कहिये 
दीवाना बेखुदी में वो तराना मस्त गाता है 

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