Saturday, June 17, 2023

मैं नदी हूँ, उसको दरिया बनना था

मैं नदी हूँ, उसको दरिया बनना था

मेरे प्रेम का उसको ज़रिया बनना था, 
वो मेरे प्रेम का बाँध बन गया, 
बाँध नहीं बना, प्रेम मिलन में बाधा बन गया | 

अब मैं रुका-सा रहता हूँ कहीं दूर उससे, 
भ्रमित-सा रहता हूँ कई बार स्वयं से, 
यह बाँध खुलेगा भी या नहीं, 
नदी को दरिया मिलेगा भी या नहीं। 

कोई ऐसी बरसात हो जाए, 
प्रेम रूपी नदी इतना उमड़े कि बाँध खुलने को लाचार हो जाए, 
और नदी और दरिया का प्रेम मिलन साकार हो जाए।

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