Thursday, June 8, 2023

ये ख्वाहिशें हर बार छलती रही हैं

ये ख्वाहिशें हर बार छलती रही हैं

मन की मञ्जिल मचलती रही है 
किनारे की तलाश में पल- पल बीतता गया 
तूफानी रात शोले सुलगती रही है 

सुख की तलाश में दुख ही मिला है 
जिंदगी काँटो में उलझी रही है 

अकेले चलने आनन्द कुछ अलग ही था 
मगर भीड़ हर तरफ जुड़ती रही है 

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