गर महफ़िल न हो साथ तो हम फिर मिलेंगे
तन्हा हो दिन-रात तो हम फिर मिलेंगे
दिलकश तरानों में भला दूर ही सही
बिखर गये जज़्बात तो हम फिर मिलेंगे
यूं तो दुवा हमेशा तेरे सुकून की मांगी
वक्त लाये कोई उफ्ताद तो हम फिर मिलेंगे
खुशियों में बेशक ही अपनी झूम लेना तुम
छेड़खानी करे हालात तो हम फिर मिलेंगे
रूठे पल में जब अपने ही गैर हो जायें
कोई न रखे एहतियात तो हम फिर मिलेंगे
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