वो हाथ में कल ना होगा
पानी है मंज़िल कल तुम्हें तो
आज से ही चलना होगा
चमकना है अगर कुंदन सा तो
तेज़ आग में तपना होगा
गर सारे सपने करने पूरे
तो नींद से अब जगना होगा ...
पानी है मंज़िल कल तुम्हें तो
आज से ही चलना होगा
स्वर्ग, नर्क ये सब यही है
पाना है तो मरना होगा
गर पानी है रात नींद चैन की
तो दिन भर अब थकना होगा..
पानी है मंज़िल कल तुम्हें तो
आज से ही चलना होगा
रात घनी है , कही प्रभा नहीं है
ख़ुद दीपक सा जलना होगा
पाँव में छालें , कोई पास नहीं है
अब घुटनो से ही बढ़ना होगा
पानी है मंज़िल कल तुम्हें तो
आज से ही चलना होगा
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