Sunday, September 13, 2020

रंज व गम शायरी

हाल तुम सुन लो मिरा देख लो सूरत मेरी 
दर्द वो चीज़ नहीं है कि दिखाए कोई 
- जलील मानिकपूरी

यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं 
अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते 
- बशीर बद्र

हाथ रख रख के वो सीने पे किसी का कहना 
दिल से दर्द उठता है पहले कि जिगर से पहले 
- हफ़ीज़ जालंधरी

दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी 
इंतिहा ये है कि 'फ़ानी' दर्द अब दिल हो गया 
- फ़ानी बदायुनी

ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा 
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना 
- ज़ेब ग़ौरी

तुम मिटा सकते नहीं दिल से मिरा नाम कभी 
फिर किताबों से मिटाने की ज़रूरत क्या है 
- अज्ञात

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से 
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से 
- जाँ निसार अख़्तर

इस डूबते सूरज से तो उम्मीद ही क्या थी 
हँस हँस के सितारों ने भी दिल तोड़ दिया है 
- महेश चंद्र नक़्श

एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है 
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता 
- जावेद नसीमी

आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो 
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो 
- अहमद फ़राज़

मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है 
कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता 
- बशीर बद्र

ज़िंदगी यूँही बहुत कम है मोहब्बत के लिए 
रूठ कर वक़्त गँवाने की ज़रूरत क्या है 
- अज्ञात

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा 
कितना आसान था इलाज मिरा 
- फ़हमी बदायूनी

हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी 
क्यूँ तुम आसान समझते थे मोहब्बत मेरी 
- अमीर मीनाई

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