Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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जुल्म शायरी
मुख़्तसर सी ज़िंदगी में बस ख़िलिश गिनते रहे।
चाहता है यह पागल प्यार,अनोखा एक नया संसार!
मुश्किल वक़्त तो अब आया है
तेरी जुदाई से मेरे सीने में जलन है
कभी हम महक जाते है, कभी बहक जाते हैं!
मेरे उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
मैं बेकसूर हूं इल्ज़ाम थोपा गया है
ग़म की घड़ी को भी ख़ुशी से गुज़ार दे &..
बेटी शायरी
गांव में हरे-भरे वृक्षों से
अब कैसे उन्हें समझूं बेगाना
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए
कश्ती ऐ मय को हुक्म ओ रवानी भी भेज दो,
रिश्ते निभाये जाते हैं
हर पल तेरे दिल में रहकर, हम बहुत याद आएंगे
बदनाम रहे बटमार मगर, घर तो रखवालों ने लूटा
वो चुप हो गए मुझ से क्या कहते कहते
उगते हुए सूर्य रश्मि को, सब प्रणाम करते हैं
ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हा
बदन पे जिस के शराफ़त का पैरहन देखा
बहुत मासूम हो तुम
रहबर बनकर जिसकी हमने बरसों रहनुमाई की
फ़िज़ूल है !
यूं ही यादों में किसी के,खो गए हैं आजकल।
वो अपना नहीं कोई पराया था
आप से दिल लगा के देख लिया
जी भर के जिंदगी जी है।
जरूरत शायरी
तेरा अपना बड़ा भाई है।
आँगन शायरी
हम व तुम नहीं हैं किसी से अलग।
डर शायरी
हर एक पंखुड़ी गुलाब की सी है
हाल ऐ दिल शायरी
बात दिल की अब ज़ुबां तक वो कभी लाते नहीं..
अब नहीं आता बसंत
तकदीर शायरी
कुछ और सुलझाना बाकी है!
क्या खाक इतरा के चलूँ.
जिंदगी को चलते देखा है।
तू जो देखे मुझे मैं निखर जाता हूं|
समझ न पाए
न जाने कब बड़े हो गए
सलीका, बेसलीका शायरी
तेरी तस्वीर लगा दी है तो घर लगता है
मैं सारे शहर का पानी शराब कर दूंगा
फ़ानी बदायूंनी शायरी
रंज व गम शायरी
ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा
नाजुकी उन लबों की क्या कहिए
दर्द और मोहब्बत शायरी
ज़िन्दगी से न हारने का वादा हैं।
परज़माने में जमाने में ज़माने बीत जाते हैं - राहुल अ...
मैं नतीज़ा जानते हुए भी चुप रहता हूं
सदियों, सदियाँ शायरी
शाम-ए-ग़म की सहर नहीं होती
अपनी आदतों को बदलना चाहता हूं
कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है
इशारा शायरी
आज से ही चलना होगा
उस्ताद, शिक्षक, Teacher, गुरु शायरी
ज़माना शायरी
मेरे हिस्से में आराम नहीं
मर तो इंसान तब ही जाता है जब..
आहट शायरी
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया
नसीहत शायरी
सितारों से उलझता जा रहा हूँ
चलो एक गीत गुनगुनाते हैं आपस के मतभेद मिटाते हैं
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Thursday, September 17, 2020
क्या खाक इतरा के चलूँ.
चार दिन की जिंदगी,
मैं किस से कतरा के चलूँ.
खाक हूँ, मैं खाक पर,
क्या खाक इतरा के चलूँ.
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