आँधियों में दीपक जलाना फ़िज़ूल है !
न आता हो जिसको जीने का सलीका,
उसे हुनर जीने का बताना फ़िज़ूल है !
गर नहीं है आँखों में शर्मो हया का पानी,
उन पे खांमखां पर्दा लगाना फ़िज़ूल है !
जो जीते हैं अंधेरों के रहमो करम पर,
वास्ते ऐसों के शम्मा जलाना फ़िज़ूल है !
जहाँ गुलाब हैं वहां कांटें भी होंगे दोस्त,
फिर बागवां पे गुस्सा दिखाना फ़िज़ूल है !
हर किसी का होता तरीका अलग अलग,
यूं ही हर जगह टंगड़ी अड़ाना फ़िज़ूल है !
जो न समझे किसी की आफतों को कभी,
ऐसों को दास्ताँ अपनी सुनाना फ़िज़ूल है !
न मरता है साथ कोई भी किसी के 'मिश्र',
किसी के मोह में फंसना फ़साना फ़िज़ूल है !
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