हर तरफ हरियाली छाने लगी ।।
हो गये ठूंठ नहीं बे सहारे ।
पाई आस कोपल आने लगी।।
उड़- उड़ आने य लगे हैं पंछी।
तितलियाँ भी मंडराने लगी।।
हम व तुम नहीं हैं किसी से अलग।
अधूरे हैं अब समझ आने लगी।।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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