बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता,
जो बीत गया है वो गुजर क्यों नहीं जाता!
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है
और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता
-अहमद फ़राज़
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
-फ़िराक़ गोरखपुरी
और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का
सुब्ह का होना दूभर कर दें रस्ता रोक सितारों का
-इब्न-ए-इंशा
कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें
मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए
-क़तील शिफ़ाई
जीने में क्या राहत थी, मरने में तकलीफ़ है क्या
जब दुनिया क्यों हंसती थी, अब दुनिया क्यों रोती है
-साग़र निज़ामी
तुम ही न सुन सके अगर क़िस्सा-ए-ग़म सुनेगा कौन
किस की ज़बाँ खुलेगी फिर हम न अगर सुना सके
-हफ़ीज़ जालंधरी
सुंदर कोमल सपनों की बारात गुज़र गई जानाँ
धूप आँखों तक आ पहुँची है रात गुज़र गई जानाँ
- परवीन शाकिर
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो
- बशीर बद्र
अभी ज़िंदा हूं लेकिन सोचता रहता हूं ख़ल्वत में
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैं ने
- साहिर लुधियानवी
आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है
जब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है
- जिगर मुरादाबादी
No comments:
Post a Comment