जब मैं टोकता हूँ तो बुरा मान जाता है,
ना जाने कौन कौन सा ख्याल अपने मन में लाता है,
अब कैसे मैं समझाऊँ की मेरी बात मानने में ही तेरी भलाई है,
मेहनत करके ही लोगों ने बड़ी बड़ी मंजिलें पाई हैं,
अरे जो तुझको टोक रहा ना छोटे, कोई और नही तेरा अपना बड़ा भाई है।
कभी जो मन करे तो मुझको पढ़ भी लेना,
जो मन ना भरे कभी तो मुझसे लड़ भी लेना,
मगर जो बात मैं बोलूँ वो तू गाँठ बांध लेना,
अपने भविष्य के बारे में ग़ैरों से सलाह न लेना,
मैंने खुद तेरे लिए इक सीढ़ी बनाई है,
उस पर चढ़ जाने में ही तेरी भलाई है,
अरे ठोकर खा खा कर ही मुझको भी अक्ल आई है,
क्योंकि अपनों ने नहीं गैरों ने ही नैय्या डुबाई है।
जो तुझको समझा रहा ना छोटे, कोई और नहीं तेरा अपना बड़ा भाई है।
तुझको डांट लगाने से मेरा जी नहीं भरता,
इसका ये मतलब तो नहीं की मैं तुझको प्यार नहीं करता,
तू मुझसे छोटा है और प्यारा है,
थोड़ा नादान है थोड़ा अंजान है,
पर तू मेरा अभिमान है,
जानता हूँ की मेरा कुछ शब्द तुझको नहीं भाता,
पर मेरे भाई ये समय लौट कर वापस नहीं आता।
तू लड़ जितना लड़ सके, लड़ने में क्या बुराई है,
जो तेरे साथ खुद भी लड़ेगा ना छोटे, कोई और नहीं तेरा अपना बड़ा भाई है।।
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