मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है
-नफ़स अम्बालवी
ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हा
मगर वही तो बहुत कामयाब चेहरा था
- अम्बर बहराईची
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं
- मिर्ज़ा ग़ालिब
तू समझता है हवादिस हैं सताने के लिए
ये हुआ करते हैं ज़ाहिर आज़माने के लिए
- सय्यद सादिक़ हुसैन
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
- साहिर लुधियानवी
ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है
ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा
- साहिर लुधियानवी
ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है
- चरण सिंह बशर
दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो
- जाफ़र मलीहाबादी
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी
- जाँ निसार अख़्तर
ज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता है
बात सच कहिए मगर यूँ कि हक़ीक़त न लगे
- फ़ुज़ैल जाफ़री
धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है
न पूरे शहर पर छाए तो कहना
- जावेद अख़्तर
नफ़रत के ख़ज़ाने में तो कुछ भी नहीं बाक़ी
थोड़ा सा गुज़ारे के लिए प्यार बचाएँ
- इरफ़ान सिद्दीक़ी
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
- फ़रहत एहसास
उस ने वा'दा किया है आने का
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का
- जोश मलीहाबादी
सादिक़ हूँ अपने क़ौल का 'ग़ालिब' ख़ुदा गवाह
कहता हूँ सच कि झूट की आदत नहीं मुझे
- मिर्ज़ा ग़ालिब
सदाक़त हो तो दिल सीनों से खिंचने लगते हैं वाइ'ज़
हक़ीक़त ख़ुद को मनवा लेती है मानी नहीं जाती
- जिगर मुरादाबादी
बे-नाम से इक ख़ौफ़ से क्यों दिल है परेशां
जब तय है कि कुछ वक़्त से पहले नहीं होगा
- शहरयार
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