Saturday, September 26, 2020

ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हा

उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है 
मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है 
-नफ़स अम्बालवी

ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हा 
मगर वही तो बहुत कामयाब चेहरा था 
- अम्बर बहराईची

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज 
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं 
- मिर्ज़ा ग़ालिब


तू समझता है हवादिस हैं सताने के लिए 
ये हुआ करते हैं ज़ाहिर आज़माने के लिए 
- सय्यद सादिक़ हुसैन

हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ 
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही 
- साहिर लुधियानवी

ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है 
ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा 
- साहिर लुधियानवी


ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है 
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है 
- चरण सिंह बशर

दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो 
निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो 
- जाफ़र मलीहाबादी

सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी 
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी 
- जाँ निसार अख़्तर
ज़हर मीठा हो तो पीने में मज़ा आता है 
बात सच कहिए मगर यूँ कि हक़ीक़त न लगे 
- फ़ुज़ैल जाफ़री

धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है 
न पूरे शहर पर छाए तो कहना 
- जावेद अख़्तर

नफ़रत के ख़ज़ाने में तो कुछ भी नहीं बाक़ी 
थोड़ा सा गुज़ारे के लिए प्यार बचाएँ 
- इरफ़ान सिद्दीक़ी

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है 
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है 
- फ़रहत एहसास

उस ने वा'दा किया है आने का 
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का 
- जोश मलीहाबादी

सादिक़ हूँ अपने क़ौल का 'ग़ालिब' ख़ुदा गवाह 
कहता हूँ सच कि झूट की आदत नहीं मुझे 
- मिर्ज़ा ग़ालिब

सदाक़त हो तो दिल सीनों से खिंचने लगते हैं वाइ'ज़ 
हक़ीक़त ख़ुद को मनवा लेती है मानी नहीं जाती 
- जिगर मुरादाबादी

बे-नाम से इक ख़ौफ़ से क्यों दिल है परेशां
जब तय है कि कुछ वक़्त से पहले नहीं होगा
- शहरयार  

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