कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है
-ज़ेहरा
एक चेहरे में तो मुमकिन नहीं इतने चेहरे
किस से करते जो कोई इश्क़ दोबारा करते
-उबैदुल्लाह अलीम
देखते देखते इक घर के रहने वाले
अपने अपने ख़ानों में बट जाते हैं
-ज़ेहरा निगाह
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
-उबैदुल्लाह अलीम
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