Monday, September 7, 2020

कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है

अब इस घर की आबादी मेहमानों पर है 
कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है 
-ज़ेहरा 

एक चेहरे में तो मुमकिन नहीं इतने चेहरे 
किस से करते जो कोई इश्क़ दोबारा करते 
-उबैदुल्लाह अलीम

देखते देखते इक घर के रहने वाले 
अपने अपने ख़ानों में बट जाते हैं 
-ज़ेहरा निगाह

अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए 
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
-उबैदुल्लाह अलीम

No comments: