मगर जिंदगी ने फिर भी हमसे बेवफाई की
उस शख्स से भी हमें सिर्फ धोखा ही मिला
रहबर बनकर जिसकी हमने बरसों रहनुमाई की
नफरतों के कारोबार में जमाने को जो नुकसान हुआ था
हमने उस नुकसान की फिर मुहब्बतों से भरपाई की
मुफलिसी से अपना अटूट रिश्ता शायद इसीलिए है
कि हमने कभी बेइमानी नहीं की सिर्फ नेक कमाई की
फंसा देख मेरी कश्ती को सैलाब में सब किनारा कर गए
'नामचीन' सिर्फ खुदा ने उस मुसीबत में मेरी हौंसला अफजाई की
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