Friday, September 25, 2020

रहबर बनकर जिसकी हमने बरसों रहनुमाई की

तमाम उम्र हमने जिन्दगी से आशनाई की
मगर जिंदगी ने फिर भी हमसे बेवफाई की

उस शख्स से भी हमें सिर्फ धोखा ही मिला
रहबर बनकर जिसकी हमने बरसों रहनुमाई की

नफरतों के कारोबार में जमाने को जो नुकसान हुआ था
हमने उस नुकसान की फिर मुहब्बतों से भरपाई की

मुफलिसी से अपना अटूट रिश्ता शायद इसीलिए है
कि हमने कभी बेइमानी नहीं की सिर्फ नेक कमाई की

फंसा देख मेरी कश्ती को सैलाब में सब किनारा कर गए
'नामचीन' सिर्फ खुदा ने उस मुसीबत में मेरी हौंसला अफजाई की

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