Tuesday, September 22, 2020

डर शायरी

अब तो हर एक अदाकार से डर लगता है 
मुझ को दुश्मन से नहीं यार से डर लगता है 
-अफ़ज़ल इलाहाबादी

मैं डर रहा हूँ तुम्हारी नशीली आँखों से 
कि लूट लें न किसी रोज़ कुछ पिला के मुझे 
-जलील मानिकपूरी

तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है 
सीना किस का है मिरी जान जिगर किस का है 
-अमीर मीनाई


रफ़्ता रफ़्ता डर जाएँगे 
क़िस्तों में हम मर जाएँगे 

मैं ने चुग़ली खाई तो फिर 
दुश्मन भूखों मर जाएँगे 
-मुशताक़ सदफ़

सायों से भी डर जाते हैं कैसे कैसे लोग 
जीते-जी ही मर जाते हैं कैसे कैसे लोग 
-अकबर हैदराबादी


ज़िंदगी इक इम्तिहाँ है इम्तिहाँ का डर नहीं
हम अँधेरों से गुज़र कर रौशनी कहलाएँगे
- सरदार अंजुम

इश्क़ से मैं डर चुका था डर चुका तो तुम मिले 
दिल तो कब का मर चुका था मर चुका तो तुम मिले 
-औरंग ज़ेब

इतना सन्नाटा है बस्ती में कि डर जाएगा 
चाँद निकला भी तो चुप-चाप गुज़र जाएगा 
-क़ैसर-उल जाफ़री

एक डर सा लगा हुआ है मुझे 
वो बिना शर्त चाहता है मुझे 
-प्रखर मालवीय कान्हा

डर डर के जागते हुए काटी तमाम रात
गलियों में तेरे नाम की इतनी सदा लगी
- नोमान शौक़

नए मंज़र के ख़्वाबों से भी डर लगता है उन को
पुराने मंज़रों से जिन की आँखें कट चुकी हैं
- ख़ुशबीर सिंह शाद

जिस का डर था वही हुआ यारो
वो फ़क़त हम से ही ख़फ़ा निकला
- इंद्र सराज़ी

डर गया है जी कुछ ऐसा हिज्र से
तुम जो पहलू से उठे दिल हिल गया
- जलील मानिकपूरी

अब मुझे थोड़ी सी ग़फ़लत से भी डर लगता है
आँख लगती है कि दीवार से सर लगता है
- राणा गन्नौरी

डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
- जावेद अख़्तर

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