मुझ को दुश्मन से नहीं यार से डर लगता है
-अफ़ज़ल इलाहाबादी
मैं डर रहा हूँ तुम्हारी नशीली आँखों से
कि लूट लें न किसी रोज़ कुछ पिला के मुझे
-जलील मानिकपूरी
तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है
सीना किस का है मिरी जान जिगर किस का है
-अमीर मीनाई
रफ़्ता रफ़्ता डर जाएँगे
क़िस्तों में हम मर जाएँगे
मैं ने चुग़ली खाई तो फिर
दुश्मन भूखों मर जाएँगे
-मुशताक़ सदफ़
सायों से भी डर जाते हैं कैसे कैसे लोग
जीते-जी ही मर जाते हैं कैसे कैसे लोग
-अकबर हैदराबादी
ज़िंदगी इक इम्तिहाँ है इम्तिहाँ का डर नहीं
हम अँधेरों से गुज़र कर रौशनी कहलाएँगे
- सरदार अंजुम
इश्क़ से मैं डर चुका था डर चुका तो तुम मिले
दिल तो कब का मर चुका था मर चुका तो तुम मिले
-औरंग ज़ेब
इतना सन्नाटा है बस्ती में कि डर जाएगा
चाँद निकला भी तो चुप-चाप गुज़र जाएगा
-क़ैसर-उल जाफ़री
एक डर सा लगा हुआ है मुझे
वो बिना शर्त चाहता है मुझे
-प्रखर मालवीय कान्हा
डर डर के जागते हुए काटी तमाम रात
गलियों में तेरे नाम की इतनी सदा लगी
- नोमान शौक़
नए मंज़र के ख़्वाबों से भी डर लगता है उन को
पुराने मंज़रों से जिन की आँखें कट चुकी हैं
- ख़ुशबीर सिंह शाद
जिस का डर था वही हुआ यारो
वो फ़क़त हम से ही ख़फ़ा निकला
- इंद्र सराज़ी
डर गया है जी कुछ ऐसा हिज्र से
तुम जो पहलू से उठे दिल हिल गया
- जलील मानिकपूरी
अब मुझे थोड़ी सी ग़फ़लत से भी डर लगता है
आँख लगती है कि दीवार से सर लगता है
- राणा गन्नौरी
डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
- जावेद अख़्तर
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