Friday, September 4, 2020

ज़माना शायरी

ज़माना मुझ से जुदा हो गया ज़माना हुआ
रहा है अब तो बिछड़ने को मुझ से तू बाक़ी
- आबिद अदीब


अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
- जिगर मुरादाबादी


'मीर'-साहिब ज़माना नाज़ुक है
दोनों हाथों से थामिए दस्तार
- मीर तक़ी मीर


हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके
कोई कहानी सुनाओ बड़ा अंधेरा है
- बशीर बद्र


इक ज़माना है हवाओं की तरफ़
मैं चराग़ों की तरफ़ हो जाऊं
- मंज़ूर हाशमी


ज़माना और अभी ठोकरें लगाए हमें
अभी कुछ और संवर जाना चाहते हैं हम
- वाली आसी

क्यूं ज़माना ही बदलता है तुझे
तू ज़माने को बदलता क्यूं नहीं
- महफूजुर्रहमान आदिल


इक ज़माना मिरी नज़र में रहा
इक ज़माना नज़र नहीं आता
- दाग़ देहलवी

इतना न बन-संवर कि ज़माना ख़राब है
मैली नज़र से डर कि ज़माना ख़राब है
- शबाब ललित


ज़माना लाख समझता हो अहमियत मेरी
मिरी नज़र में नहीं कोई हैसियत मेरी
- सिया सचदेव

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