Sunday, September 13, 2020

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा

ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा 
ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा 

अपने दिल को भी बताऊँ न ठिकाना तेरा 
सब ने जाना जो पता एक ने जाना तेरा 

तू जो ऐ ज़ुल्फ़ परेशान रहा करती है 
किस के उजड़े हुए दिल में है ठिकाना तेरा 

आरज़ू ही न रही सुब्ह-ए-वतन की मुझ को 
शाम-ए-ग़ुर्बत है अजब वक़्त सुहाना तेरा 

ये समझ कर तुझे ऐ मौत लगा रक्खा है 
काम आता है बुरे वक़्त में आना तेरा 

ऐ दिल-ए-शेफ़्ता में आग लगाने वाले 
रंग लाया है ये लाखे का जमाना तेरा 

तू ख़ुदा तो नहीं ऐ नासेह-ए-नादाँ मेरा 
क्या ख़ता की जो कहा मैं ने न माना तेरा

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