Tuesday, September 1, 2020

चलो एक गीत गुनगुनाते हैं आपस के मतभेद मिटाते हैं

चलो एक गीत गुनगुनाते हैं
आपस के मतभेद मिटाते हैं
कुछ तुम बढ़ो कुछ हम बढ़े
दरमियाँ के फासले मिटाते हैं I
इस मोल तोल की दुनिया में
कुछ बेमोल भी बेच आते हैं
कुछ तुम बोलो कुछ हम बोले
ये मौन बड़ा रुलाता है I
कंकरीली पथरीली राहों पर
कांटे बहुतेरे बिछाते हैं
गैरों की बिसात कहाँ
अपने ही रंग दिखलाते हैं I
गुमसुम बैठी परी है दुनिया
कुछ सतरंगी रंग खिलाते हैं
सुर ताल बेमेल सही
पर एक गीत गुनगुनाते हैं I
आपस के मतभेदों का क्या
ये तो पानी के बुलबुले हैं
प्रेम धारा जब बह चले तो
धारा से ही मिल जाते हैं I
कुछ तुम सुनो कुछ मैं सुनाऊं
उन भूली बिसरी बातों को
फिर से एकाकार हो आज
चलो एक गीत गुनगुनाते हैं I

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