चांद बनकर जहां में बिखर जाता हूं|
यार जाना कहां है पता था मुझे,
जान ख़ुशबू से तेरी ठहर जाता हूं|
इश्क़ कहता है चाहत से थामो मुझे,
स्याहियों सी कलम की बिखर जाता हूं|
जिस्म से तो हवाएं गुजरती थी तब,
सांसे ख़ुशबू हो तेरी संवर जाता हूं|
प्यार मुझसे ये बोला कि देखो 'दोस्त',
दिल के पत्थर मिले हैं जिधर जाता हूं|
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