खो गए हैं आजकल।
अपने जो थे अपने,
पराए हो गए हैं आजकल।।
ग़म नहीं मुझको है ये,
अपने,पराए क्यों हुए।
ग़म तो बस है एक ही,
किस बात से वो हो गए।।
कब कहां और क्यों मिले,
कुछ नहीं है याद हमको।
बस यही है याद मुझको,
राह में हम सब मिले थे।।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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