Wednesday, September 23, 2020

जी भर के जिंदगी जी है।

हम गौरवान्वित महसूस करते हैं कि ..
हमारी परवरिश में दादा दादी का हाथ था,
बड़े पापा बड़ी मम्मी की लाड - फटकार,
चाचा और बुआ का प्यारा साथ था,

हम गौरवान्वित महसूस करते हैं कि ...
हमारे सर पर नीम की ठंडी छांव थी,
बसंती हवा, कड़कती धूप , खुला आसमां
और लहलहाते खेतों का साथ था,

हम गौरवान्वित महसूस करते हैं कि ..
हम कच्ची पक्की सड़कों पर चले,
कभी गिरे कभी संभले ,
टेढ़े - मेढ़े पगडंडियों और मेड़ों पर चले,

हम गौरवान्वित महसूस करते हैं कि...
हम आंगन , खेत, खलिहान और अखाड़ों में खेले,
दोस्तों के मुंह का निवाला छीन कर खाए,
और उनके ही कपड़े में मेले घूम कर आए,

हम गौरवान्वित महसूस करते हैं कि...
हमने जमीन से जुड़ी जिंदगी जी हैं,
दिखावे से कोषों दूर सादगी जी हैं,
ना किसी को गिराया ना गिरने दिया,
यारों , हमने तो जी भर के जिंदगी जी है।

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