Wednesday, September 30, 2020

चाहता है यह पागल प्यार,अनोखा एक नया संसार!

चाहता है यह पागल प्यार,
अनोखा एक नया संसार!

कलियों के उच्छवास शून्य में तानें एक वितान,
#तुहिन-कणों पर मृदु कंपन से सेज बिछा दें गान;

जहां सपने हों पहरेदार,
अनोखा एक नया संसार !

करते हों आलोक जहां बुझ बुझ कर कोमल प्राण,
जलने में विश्राम जहां मिटने में हों निर्वाण;

वेदना मधु मदिरा की धार,
अनोखा एक नया संसार !


मिल जावे उस पार क्षितिज के सीमा सीमाहीन,
गर्वीले नक्षत्र धरा पर लोटें होकर दीन !

उदधि हो नभ का शयनगार,
अनोखा एक नया संसार !
जीवन की अनुभूति तुला पर अरमानों से तोल,
यह अबोध मन मूक व्यथा से ले पागलपन मोल !

करें दृग आँसू का व्यापार,
अनोखा एक नया संसार! 

-महादेवी वर्मा 

तुहिन - 1. हिम; तुषार 2. ओस कण 3. ज्योत्स्ना; चाँदनी, शीत; ठंडक।  

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