भीगी भीगी बरसातों में
तुम ख्वाबों में छा जाते हो
मैं कैसे समझाऊँ तुम्हें
मेरे सपनों में तुम आते हो
सोंधी सोधी माटी की खुशबू
कोई तान छोड़ कर जाती है
मद्धम मद्धम पुरवा पवन
गीत कोई सुनाती है
मैं तुम्हारी डीपी को चूमकर
उससे लिपटकर रोता हूँ
तेरी यादों में ही मरता हूँ
तेरी यादों में ही जीता हूँ।
मिलन की बाट जोहता मैं
तेरी यादों के सपने बुनता हूँ
कैसे बतलाऊँ तुमको मैं
तुम्हे प्यार मैं कितना करता हूँ।
राकेश धर द्विवेदी
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