Tuesday, December 5, 2023

ये जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है

ये जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है

कभी हंसाती कभी रुलाती है

लगाती है ठहाके मेरी हालत पर

कभी रोती कभी गुनगुनाती है

बहती है जिंदगी निर्झर की भांति

ख़ुद बेरंग होकर सारे रंग दिखाती है

कहती है मुझसे चल तू मेरे संग

ना चले तो कर दूंगी बेरंग

कहती हूं मैं ठहर तू एक पल

जाना कहां है अब चलेंगे कल

थके कदम अभी थके नहीं की

जिंदगी ने हाथ खींचा

कहा दूर है मंजिल अब भी

संघर्ष ही मेरा नाम है दूजा

लड़खड़ाते कदम और गिर पड़ी मैं

जिंदगी ने साथ छोड़ा

वक्त की जंजीर टूटी

सामने आजाद खड़ी मैं

सामने आजाद खड़ी मैं।

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