Sunday, December 3, 2023

नज़रों का यूँ झुक जाना

तेरे संग नज़रों का ,यूँ झुक जाना,

मोहब्बत के धागे में,

पिरो जाता है।

जन्मों के बंधन का ,

दिलाकर एहसास,

यूँ ही खयालों में ,खिंच जाता हूँ ।

ख़ुद की नज़रों से ,होकर ओझल,

तेरे हुस्न का दिवाना ,बन जाता हूँ ।

जब से हुए है रूबरू तुमसे,

एक सनाम सा रिश्ता ,बन गया है हमारा।


No comments: