Sunday, December 3, 2023

दर्द दुनिया भर का सीने में लिए जाते हैं हम

 दर्द दुनिया भर का सीने में लिए जाते हैं हम 

ज़िंदगी जीने की मजबूरी जिए जाते हैं हम 

अपने दामन से छुड़ा अब कहते ग़ैरों का हुआ 
बे-ख़ता दोहरी सज़ाएँ भी पिए जाते हैं हम 

यूँ तो ये बाज़ार महफ़िल पर सभी वीरान हैं 
फिर भी वीराने में आवाज़ें दिए जाते हैं हम 

बह रही हैं हर ज़बाँ पर उन की ज़ालिम दास्ताँ 
फिर भी कुछ ऐसा कि होंटों को सिए जाते हैं हम 

एक ताज़ा चोट यूँ बरसी की पहली धुल गई 
इस तरह से ग़म ग़लत ग़म से किए जाते हैं हम 

रामदरश मिश्र

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