आँखे मुब्तला है ऐसे नजारें को देखकर
की कोई भी शरमा जाये तुमको देखकर
ऐब होता अगर कोई तुझमें तो छुपाती
यूँ नजरें नहीं उठाती , हमको देखकर
सब खैरियत है तिरे पूछने पे क्या कहूँ
कुछ याद ही नहीं आता तुमको देखकर
आँखों को चैन जब नजारों से नहीं आता है
तो तेरी तश्वीर बनाता हूँ आँखें मूंदकर
तुम्हारे पहलू में क्यूँ आया बताना होगा
तुम्हे अंदाजा नहीं मेरी हालत देखकर
मेरे सर पे तपिश किरणों का कारवां है
फिर भी मुस्कुरा रहा हूँ तुमको देखकर
तुझमें जादू है की तिरे संगत में माया है
हर गम हवा होता है तुमको देखकर
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