आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जब तक बहता दरिया हूं
अरमानों का जरिया हूंमुझसे अलग नहीं है कोईऐसा एक नजरिया हूं
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