मेरे सपनों को आकार मिले कैसे।
अब लज्जत-ए-दीदार मिले कैसे।।
कल तक जिससे, प्यास बुझायी।
आज वो ही आबशार मिले कैसे।।
चेहरे पढने का हुनर सीख लिया।
मगर आँखों मे , प्यार मिले कैसे।।
फूलों का वजूद,बचाया जिन्होंने।
फिर हमे, वो ही खार मिले कैसे।।
मुद्दत से, जो बेकरार हैं यहां पर।
उन्हें सुकूँ,और करार मिले कैसे।।
जिनको जुस्तजू है , दर की तेरे।
उनको तो दर-ए-यार मिले कैसे।।
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