Sunday, December 3, 2023

वो सितारे जिन की ख़ातिर कई बे-क़रार सदियाँ

वो सितारे जिन की ख़ातिर कई बे-क़रार सदियाँ 

मिरी तीरा-बख़्त दुनिया में सितारा-वार जागीं 


कभी रिफ़अ'तों पे लपकीं कभी वुसअ'तों से उलझीं 

कभी सोगवार सोएँ कभी नग़्मा-बार जागीं 


वो बुलंद-बाम तारे वो फ़लक-मक़ाम तारे 

वो निशान दे के अपना रहे बे-निशाँ हमेशा 


वो हसीं वो नूर-ज़ादे वो ख़ला के शाहज़ादे 

जो हमारी क़िस्मतों पर रहे हुक्मराँ हमेशा 


जिन्हें मुज़्महिल दिलों ने अबदी पनाह जाना 

थके-हारे क़ाफ़िलों ने जिन्हें ख़िज़्र-ए-राह जाना 


जिन्हें कमसिनों ने चाहा कि लपक के प्यार कर लें 

जिन्हें महवशों ने माँगा कि गले का हार कर लें 


जिन्हें आशिक़ों ने चाहा कि फ़लक से तोड़ लाएँ 

किसी राह में बिछाएँ किसी सेज पर सजाएँ 


जिन्हें बुत-गरों ने चाहा कि सनम बना के पूजें 

ये जो दूर के हसीं हैं उन्हें पास ला के पूजें 


जिन्हें मुतरिबों ने चाहा कि सदाओं में पिरो लें 

जिन्हें शाइ'रों ने चाहा कि ख़याल में समो लें 


हो हज़ार कोशिशों पर भी शुमार में न आए 

कभी ख़ाक-ए-बे-बिज़ाअत के दयार में न आए 


जो हमारी दस्तरस से रहे दूर दूर अब तक 

हमें देखते रहे हैं जो ब-सद ग़ुरूर अब तक 


Sahir Ludhianvi 

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