आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
जगमगाते रहते हैं तेरे ख्वाब मेरी आंखों में,
कुछ ऐसे ही मेरी रातें बसर होती हैं तेरी आंखों में.....
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