प्यासे थे लब किसके,यूं जाम मिला किसको।
तारीफ हुई किसकी, इल्ज़ाम मिला किसको।।
गम-ए-हिज्र मे किसने,गुजारी थी उम्र अपनी।
मगर तेरी इनायत का , इनाम मिला किसको।।
शुआ-ए-सहर तक, कौन मुंतजिर था उनका।
लुत्फ-ए-दीद,सुबह-ओ-शाम मिला किसको।।
आगाज-ए-तर्क-ए-ताल्लुक,किया है किसने।
मगर फांसलों का,वो अंजाम मिला किसको।।
हसरत है, तेरी तहरीर हर्फ-बा-हर्फ पढ़ें हम।
ख्वाहिश थी किसकी,पैगाम मिला किसको।।
राह-ए-उल्फत का सफर, तय किया किसने।
मुसाफ़िर था कौन,यूं मकाम मिला किसको।।
अपने बहते हुए अश्कों को,पी लिया किसने।
मगर सर-ए-बज्म, अहतराम मिला किसको।।
तमाम उम्र से वो, तसव्वुर मे बसे थे किसके।
आज उसी नजर का, सलाम मिला किसको।।
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