Sunday, December 3, 2023

आग ही आग है गुलशन ये कोई क्या जाने

आग ही आग है गुलशन ये कोई क्या जाने 

किस ने फूँका है नशेमन ये कोई क्या जाने 

न कहीं सोज़न-ओ-रिश्ता न कहीं बख़िया-गरी 
सर-ब-सर चाक है दामन ये कोई क्या जाने 

देखते फिरते हैं लोग आईने सय्यारों के 
दिल का गोशा भी है दर्पन ये कोई क्या जाने 

हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब 
कोई पर्दा है न चिलमन ये कोई क्या जाने 

'अर्श' ऊँचा था सर-ए-फ़न कभी या फ़ख़्र ओ ग़ुरूर 
अब तह-ए-तेग़ है गर्दन ये कोई क्या जाने 

अर्श मलसियानी

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