Sunday, December 3, 2023

काँधे पे जो सर रखकर सोए थे

तेरे ग़म के ख़ज़ाने से मुझे आधा नहीं मिल सकता

कभी भी आईने से रू-ब-रू अंधा नहीं मिल सकता

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तेरे काँधे पे जो सर रखकर सोए थे हम कभी

अफ़सोस मेरे जनाज़े को वो काँधा नहीं मिल सकता

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