Sunday, December 3, 2023

भरमाया तुमने

जब भी कुछ गाना चाहा

मैंने मुस्कुराना चाहा

पंखों की कामना हुई

मैंने उड़ जाना चाहा

धरती क्या आसमान नज़रों में रहे

बादलों की ओट से-

तुम बुलाते रहे


कभी चाँद बनकर लुभाया तुमने

कभी रात बनकर जगाया तुमने

कभी बादल से घिर -घिर आये

और रुलाया तुमने


मरुभूमि सा रहा मेरा जीवन

मरीचिकाओं में

ताउम्र भरमाया तुमने

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