Sunday, December 3, 2023

प्यार के बहुत चेहरे हैं

 मैं उसे प्यार करता

यदि वह
ख़ुद वह होती

मैं अपना हृदय खोल देता
यदि वह
अपने भीतर खुल जाती

मैं उसे छूता
यदि वह देह होती
और मेरे हाथ होते मेरे भाव!

मैं उसे प्यार करता
यदि मैं पत्ता या हवा होता
या मैं ख़ुद को नहीं जानता
मैं जब डूब रहा था
वह उभर रही थी
जिस पल उसकी झलक दिखी

मैं कभी-कभी डूब रहा हूँ
वह अभी-अभी अपने भीतर उभर रही है

मैं उसे प्यार करता
यदि वह जानती
मैं ख़ामोशी की लय में अकेला उसे प्यार करता हूँ
प्यार के बहुत चेहरे हैं।

नवीन सागर 

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