आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
अपने पराए का पता वक्त ऐ गर्दिश में चलता है
वक्त अच्छा हो तो साया भी साथ चलता है...
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