आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तुमको देखूं तो
नज़रों के आगे
हज़ारों फूल
खिल जाते हैं
पथरीली राहों में
मखमली कालीन
बिछ जाते हैं
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