Monday, December 4, 2023

तुम नही हो तो इधर भी अच्छा नहीं लगता

तुम नही हो तो इधर भी अच्छा नहीं लगता

तुम जो घर न हो तो घर अच्छा नहीं लगता ।

अकेले चलना भी कोई चलना है मुसाफिर का
साथ कोई ना हो तो सफर अच्छा नहीं लगता ।

जबसे उनके ख्वाब टूटे है रोज पत्तो की तरह
वीरान दिल में अब उधर भी अच्छा नहीं लगता ।

कहां की दिल्लगी कहां पर रंग ला दे भरोसा नहीं
चढ़े न इश्क तो फिर उम्र भर अच्छा नही लगता।

बहुत याद सताती है तुम्हारी तन्हा रातों में मुझे
सोचता रहता हूं तुम्हे रात भर अच्छा नही लगता।

No comments: