Tuesday, December 5, 2023

चलो एक दीया फिर से जलाएं

चलो एक दीया,

फिर से जलाएं।

अंधेरे को धरा से,

मार भगाएं।

रहे जिनकी जिंदगी में,

सदा हैं अंधेरे।

उजाले न आए,

कभी न देखे सबेरे।

उन्हें आके फिर से,

सजाएं-संवारें।

चलो एक दीया

फिर से जलाएं।

अंधेरे को धरा से

मार भगाएं।

निशा बन गई,

जिनकी जिंदगी की।

कहानी,

हमेशा है देखी।

दुख और परेशानी,

उनके दर्द और घावों,

पर मरहम लगाएं।

चलो एक दीया,

फिर से जलाएं।

तिमिर है घना,

रात्रि न कटने वाली।

पता कब फिर से,

आएगी जीवन मे  दिवाली।

चलो उनके जीवन मे ,

सूरज बनके आएं।

उनके अंधकारपूर्ण जीवन मे ,

चांदनी बिखराएं।

चलो एक दीया,

फिर से जलाएं।

अंधेरे को धरा से,

मार भगाएं।

राकेश धर द्विवेदी 

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