नदी ,किनारा
सांझ की नम
जैसे कि
प्रेम ,मैं और तुम
चाय की प्याली
बारिश का मौसम
जैसे कि
प्रेम ,मैं और तुम
चांदनी रात
चांद ,सितारों में गुम
जैसे कि
प्रेम ,मैं और तुम
हकीकत,ख्वाब
बिन शब्दों की धुन
जैसे कि
प्रेम ,मैं और तुम
दो आत्माऔं का
एक सार मिलन से हम
जैसे कि
प्रेम ,मैं और तुम
आंखें बोलती सी
शांत से स्वर
होंठ पहली मुलाकात की भांति चुप
जैसे कि
प्रेम ,मैं और तुम
एक दूसरे मे गुम
जैसे कि
प्रेम ,मैं और तुम ,
एक दूजे के होते से
मैं और तुम
मैं और तुम
मैं और तुम
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