Saturday, May 27, 2023

वरना यादें जीना मुश्किल कर देती हैं

हम अब किसे आईना दिखाएं

हर शख़्स आईना लिए घूमते है 

कि मैंने ख़ुद को नहीं रोका है 
वक़्त की ही थोड़ी पाबंदियाँ है 

बदलते वक़्त ने बदले मिज़ाज 
फ़िर मैं क्या उम्मीद रक्खूँ किसी से 

वक़्त को क्यूँ भला बुरा कहिए 
बेहतर है कि ख़ुद-ब-ख़ुद को देखें 

अच्छा है कि हम वक़्त के मुसाफ़िर 
वरना यादें जीना मुश्किल कर देती हैं

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